Yoga Day
योग स्वयं के लिए, स्वयं के माध्यम से, स्वयं तक पहुँचने की विधा है"- कुलगुरु, प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा
चौधरी रणबीर सिंह विश्वविद्यालय जींद ने 21 जून 2021 को आभासी माध्यम के द्वारा सातवाँ अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस और अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाया | कार्यक्रम का आयोजन योग विज्ञान विभाग और संगीत एवं नृत्य विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सम्पन्न हुआ।
योग प्रोटोकॉल सुबह 7:oo बजे शुरू हुआ जिसमें माननीय कुलगुरु और कुलसचिव डॉ राजेश बंसल, अधिष्ठाता संकायाध्यक्ष,विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, प्रध्यापकगण, गैर-शैक्षणिक कर्मचारी और विद्यार्थियों ने योगासन और प्राणायाम का अभ्यास डॉ० वीरेंद्र कुमार के नेतृत्व में छात्र नवनीत पाराशर और संगीता कुमारी के प्रदर्शन को देखकर किया।
योग के सुदृढ़ और संतुलित अभ्यास के बाद कार्यक्रम अंतर्राष्ट्रीय संगीत दिवस मनाने के लिए आगे बढ़ा | संगीत और नृत्य विभाग के छात्रों ने देशभक्ति, भक्ति और धार्मिक गीतों के रूप में सुंदर संगीत प्रस्तुत किया गया। ऊर्जावान यौगिक और संगीतमय प्रदर्शनों के साथ कार्यक्रम में उपस्थित सभी ने आत्मा और परमात्मा के साथ एकत्व का अनुभव किया।
इस अवसर पर विश्वविद्यालय के कुलगुरु प्रोफेसर सोमनाथ सचदेवा ने अपने संबोधन में बताया कि- योग गौरवशाली भारतीय प्राचीन परंपरा का अमूल्य उपहार है। ऋग्वेद के समय से योग का वर्णन हमें प्राप्त होता है। महर्षि पतंजलि के द्वारा वर्णित योगसूत्र से योग के विषय में व्यवस्थित ज्ञान है।
माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के सत्प्रयासों से योग की छवि पुनः अंतर्राष्ट्रीय पटल पर प्रतिष्ठित हुई है। गीताज्ञान की जन्मस्थली कुरुक्षेत्र से अपने उद्बोधन को व्यक्त करते हुए माननीय कुलगुरु ने बताया कि श्रीकृष्ण ने श्रीमद्भगवद्गीता के रूप में सभी मनुष्यों के लिए कर्मयोग, ज्ञानयोग और भक्तियोग की शिक्षा दी है। कर्मयोग के द्वारा हम सभी अपने कर्तव्य का निर्वाह करें। ज्ञानयोग के द्वारा समस्त विद्यार्थी एवं शिक्षक समुदाय नित्य-प्रति ज्ञान अर्जित करें और भक्ति के माध्यम से अपने भावों को निर्मल एवं पवित्र बनाये।
अपने उद्बोधन में योग के तीन आयामों- आसन, प्राणायाम और ध्यान को आगे बढ़ाया और इस बात पर जोर दिया कि चौथा आयाम जो युवाओं और विशेष रूप से योग विज्ञान के क्षेत्र से जुड़े लोगों के लिए उभर रहा है, वह है अरबों डॉलर का योग बाजार। यह न केवल युवाओं को रोजगार प्रदान कर सकता है बल्कि योग की सदियों पुरानी परंपरा को भी बढ़ा सकता है जिसका आविष्कारक भारत है ।
उन्होंने कहा कि संगीत और योग दोनों ही दैवीय कला रूप हैं जो मन, शरीर और आत्मा को जोड़ते हैं और मनुष्य को अपने जीवन में निर्मल सुख के अंतिम लक्ष्य की ओर बढ़ने में मदद करते हैं।
विश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ० राजेश बंसल ने आयोजनकर्ता विभागों, योग विज्ञान और संगीत एवं नृत्य विभाग के संयुक्त प्रयासों की सराहना की । उन्होंने बताया कि योग और संगीत दोनों ही जीवन को नवीन कल्पना से आगे बढ़ने के लिए प्रेरित करते हैं । कोई भी इनके चिकित्सीय चमत्कारों से इन्कार नहीं कर सकता है |
कला और विज्ञान के ये दोनों विषय लोगों को महामारी जैसी प्रतिकूल परिस्थितियों के बीच भी जीवन्त बनाये रखते हैं ।
योग विज्ञान विभाग एवं संगीत एवं नृत्य विभाग की अध्यक्षा डॉ० ज्योति श्योराण ने विश्वविद्यालय के कुलपति एवं कुलसचिव का उनके निरंतर सहयोग के लिए आभार व्यक्त किया । उन्होंने कहा कि इस तरह के कार्यक्रम न केवल इन महत्वपूर्ण दिनों को चिह्नित करने के लिए आयोजित किए जाते हैं, बल्कि विशेष रूप से ऐसे कठिन समय के दौरान सभी को जीवंत और उत्साहित रखने के लिए भी आयोजित किए जाते हैं । सभी छात्रों के लिए माननीय कुलपति के आशीर्वचन के साथ कार्यक्रम सकारात्मक रूप से संपन्न हुआ ।